कैंसर – जानकारी डिटेल में। कैंसर क्या है। कैसे होता है। इससे होनेसे कैसे बचे ?
दोस्तों आज कल हम कोरोना के बारे में सुर्खियोमे पढ़ते रहते है , लेकिन कोरोना के बाद इंसान शिकार होता जा रहा है कैंसर का बडीही जल्द गतिसे।
आज जानते है कैंसर के बारे में बडिहि महत्वपूर्ण जानकारी।
कैंसर क्या है? (What Is Cancer ?)
कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिससे शरीर के किसी भी हिस्से की सेल्स अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं. कैंसर शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्सों में फैलता है. सबसे पहले शरीर के किसी एक हिस्से में होने वाले कैंसर को प्राइमरी ट्यूमर कहते है. जिसके बाद शरीर के दूसरे हिस्सों में होने वाला ट्यूमर मैटास्टेटिक या सेकेंडरी कैंसर कहलाता है.

ये हैं कैंसर की 4 मुख्य अवस्थाएँ -(Stages Of Cancer)
- पहली और दूसरी अवस्था में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है और आस-पास के टिश्यूज की गहराई में नहीं फैलता है.
- तीसरी अवस्था में कैंसर विकसित हो चुका होता है. ट्यूमर बड़ा हो चुका होता है और इसके अन्य अंगों में फैलने की संभावना बढ़ जाती है.
- चौथी अवस्था कैंसर की आखिरी अवस्था होती है. इसमें कैंसर अपने शुरुआती हिस्से से अन्य अंगों में फैल जाता है. इसे विकसित या मैटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है
कैसे फैलता है कैंसर ? - कैंसर तीन तरह से शरीर में फैलता है. डायरेक्ट एक्सटेंशन या इंवेजन, जिसमें प्राइमरी ट्यूमर आस-पास के अंगों और टिश्यूज में फैलता है. उदाहरण के लिए प्रोस्टेट कैंसर ब्लैडर तक पहुंच जाता है.
- लिम्फेटिक सिस्टम में कैंसर की टिशूज प्राइमरी ट्यूमर से टूट कर शरीर के दूसरे अंगों तक चली जाती हैं. लिम्फेटिक सिस्टम टिश्यूज और अंगों का ऐसा समूह है जो संक्रमण और बीमारियों से लड़ने के लिए टिशूज बनाकर इन्हें स्टोर करके रखता है.
- कैंसर खून से भी फैलता है. इसे हीमेटोजिनस स्प्रैड कहा जाता है, इसमें कैंसर की टिशूज प्राइमरी ट्यूमर से टूट कर खून में आ जाती हैं और खून के साथ शरीर के दूसरे हिस्सों तक पहुंच जाती हैं.
ये हैं कैंसर के लक्षण ( Symptoms Of Cancer )
कैंसर के आम लक्षण हैं वजन में कमी, बुखार, भूख में कमी, हड्डियों में दर्द, खांसी या मूंह से खून आना. अगर किसी भी व्यक्ति को ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
स्तन या शरीर के किसी अन्य भाग में कड़ापन या गांठ।
– एक नया तिल या मौजूदा तिल में परिवर्तन।
– कोई ख़राश जो ठीक नहीं हो पाती।
– स्वर बैठना या खाँसी ना हटना।
– आंत्र या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन।
– खाने के बाद असुविधा महसूस करना।
– निगलने के समय कठिनाई होना।
– वजन में बिना किसी कारण के वृद्धि या कमी।
– असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज।
– कमजोर लगना या बहुत थकावट महसूस करना
कैंसर के हैं 100 प्रकार ( Types Of Cancer )
उनमें प्रमुख रूप से ब्लड कैंसर, गले का कैंसर, मुंह का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, लंग कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, ब्लैडर कैंसर, लिवर कैंसर, बोन कैंसर, पेट का कैंसर होते हैं. कैंसर जेनेटिक बीमारी भी होती है. हमारी कोशिकाओं को काबू में करनेवाले जीन में बदलाव के कारण कैंसर होता है.
कैंसर पेशेंट्स के २०२० में भारत के आंकड़े (Cancer statistics in india 2020)
इंडिया मे 2020 का स्टॅट्स देखा जाए तो हर 100000 पुरषोंके पीछे 94.1और हर 100,000 के पीछे 103.6 महिलाएं कैंसर से पीड़ित है!
कैंसर फ्री ट्रीटमेंट इन इंडिया (Cancer Free Treatment In India )
निचे दिए गए कुछ ऐसे हॉस्पिटल्स है जहा कैंसर का इलाज बिलकुल फ्री में होता है,
ये जानकारी आपके लिए दे रही हु क्युकी कैंसर जैसी बिमारी से पहले ही इंसान टूट जाता है उसमे अगर फंड्स की कमी की वजह से किसी की जान की बाज़ी लग रही हो तो उससे ज्यादा बुरी बात न होगी , ये आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करो क्या पता किसी का इससे भला हो जाये
- Tata Memorial Hospital, Mumbai
- Kidwai Memorial Institute of Oncology, Bangalore
- Tata Memorial Hospital, Kolkata
- Regional Cancer Center,Thiruvananthapuram
- Cancer Care Foundation of India, Mumbai
जांच
प्रयोगशाला परीक्षण
रक्त, मूत्र, या अन्य तरल पदार्थों की मदद से डॉक्टर इसकी जांच कर सकता है। इन परीक्षणों से अंग कितनी अच्छी तरह से कामकाज कर रहे हैं, इसका पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा, कुछ पदार्थों की भारी मात्रा से भी कैंसर का संकेत मिलता है। इन पदार्थों को अक्सर ट्यूमर मार्कर कहा जाता है। हालांकि, प्रयोगशाला के असामान्य परिणाम कैंसर के निश्चित संकेत नहीं होते। कैंसर की जांच करने के लिये केवल प्रयोगशाला परीक्षणों पर भरोसा नहीं करना चाहिए ।
इमेजिंग प्रक्रिया
यह शरीर के अंदर क्षेत्रों की तस्वीरें बनाती है, या डॉक्टर को यह जानने में मदद करती है कि क्या शरीर में कोई ट्यूमर मौजूद है। ये इमेजिंग कई तरीके से लिये जा सकते हैं:
एक्स – रे : एक्स-रे शरीर के अंदर के अंगों और हड्डियों को देखने का सबसे आम तरीका हैं।
सीटी स्कैन : इस विधि में एक एक्स-रे मशीन एक कंप्यूटर से जुड़ी होती है, जो किसी कंट्रास्ट सामग्री के साथ अंगों (जैसे कि डाई के रूप में) के विस्तृत चित्रों की एक श्रृंखला बनाता है। इन चित्रों को पढ़ना आसान होता है।
रेडियोन्युक्लाइड स्कैन : इसमें रेडियोधर्मी सामग्री की एक छोटी मात्रा के इंजेक्शन के द्वारा इमेजिंग की जाती है। यह रक्त से होकर बहती है और कुछ हड्डियों या अंगों में जमा हो जाती है। एक मशीन जिसे स्कैनर कहते है, रेडियोधर्मिता को मापती और उसका पता लगाती है। स्कैनर कंप्यूटर स्क्रीन पर या फिल्म पर हड्डियों या अंगों के चित्र बनाता है। शरीर से जल्द ही रेडियोधर्मी पदार्थ बाहर निकल जाता है।
अल्ट्रासाउंड : इसमें कोई अल्ट्रासाउंड उपकरण ध्वनि तरंगें प्रेषित करता है जिन्हें लोग नहीं सुन सकते हैं। तरंगें शरीर के अंदर के ऊतकों पर प्रतिध्वनियों की तरह टकराकर वापस लौटती है। कंप्यूटर इन प्रतिध्वनियों का उपयोग चित्र बनाने के लिये करता है जिसे सोनोग्राम कहते हैं।
एमआरआई : एक मजबूत चुंबक से जुड़े कंप्यूटर से शरीर के हिस्सों के विस्तृत चित्र बनाने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है। डॉक्टर एक मॉनिटर पर इन चित्रों को देख सकते हैं और उन्हें फिल्म पर मुद्रित कर सकते हैं।
पीईटी स्कैन : रेडियोधर्मी सामग्री की एक छोटी राशि इंजेक्शन लगाने के बाद, एक विशेष मशीन शरीर में रासायनिक गतिविधियों को दिखाने के लिये चित्र बनाती है। कैंसर की कोशिकाएं कभी-कभी उच्च गतिविधियों के क्षेत्रों के रूप में दिखती हैं।
ज्यादातर मामलों में, डॉक्टरों के लिये कैंसर कि जांच करने के लिये बायोप्सी करने कि जरूरत होती है। बायोप्सी के लिये, पहचान वाले ट्यूमर से ऊतक का एक नमूना लिया जाता है और उसे प्रयोगशाला में जांच के लिये भेजा जाता है। पैथॉलॉजिस्ट सूक्ष्मदर्शी की सहायता से उन ऊतकों को देखता है।
कैंसर के उपचार की प्रक्रिया?
कैंसर की चिकित्सा में शल्य चिकित्सा, रेडिएशन थेरेपी, किमोथेरेपी, जीवाणु थेरेपी तथा जैविक थेरेपी शामिल हैं। कैंसर की स्थिति के प्रकार के आधार पर डॉक्टर एक या संयुक्त प्रक्रिया अपना सकता है। बीमारी कितनी फैल चुकी है, रोगी की आयु तथा सामान्य स्वास्थ्य एवं अन्य तत्वों को भी ध्यान में रखना होता है।
बायोप्सी
नमूना कई विधियों से लिये जा सकते हैं :
सुई के जरिए : ऊतक या तरल पदार्थ निकालने के लिये डॉक्टर एक सुई का उपयोग करता है।
एंडोस्कोप के जरिए : शरीर के अंदर के क्षेत्रों को देखने के लिये डॉक्टर एक पतली, रोशन ट्यूब (एंडोस्कोप) का उपयोग करता है। डॉक्टर ट्यूब के माध्यम से ऊतक या कोशिकाओं को प्राप्त कर सकते हैं।
सर्जरी के जरिए : सर्जरी में काटना या चीरा लगाया जा सकता है।
1. काटे जाने वाली बायोप्सी में, सर्जन पूरा ट्यूमर को हटा है। अक्सर ट्यूमर के आसपास के सामान्य ऊतकों में से कुछ को हटा दिया जाता है।
2. चीरे वाली बायोप्सी में, सर्जन ट्यूमर का सिर्फ एक हिस्सा हटाता है। यदि लक्षण या जांच परिणाम से कैंसर का संकेत मिलता है, तो डॉक्टर यह पता लगाता है कि यह कैंसर की वजह से अथवा किसी और वजह से है।
18F सोडियम फ्लोराइड बोन स्कैन
18F सोडियम फ्लोराइड बोन स्कैन आधुनिक कंकाल साइंटिग्रफ़ी है, जो पीईटी – सीटी स्कैनर पर किया जाता है। परमाणु MDP बोन स्कैन की तुलना में यह एक बेहद संवेदनशील और बेहतर परीक्षण है, और इसका प्रयोग निम्नांकिंत बीमारियों की स्थिति में किया जा सकता है:
1. कैंसर की पहचान वाले रोगियों में कंकाल मेटास्टेसिस (हड्डी में कैंसर फेलना)।
2. हड्डी टूटने की जांच करना, जो नियमित रूप से एक्स – रे पर नहीं देखा जाता है।
3. हड्डी के संक्रमण की जांच, जो नियमित एक्स – रे पर स्पष्ट नहीं होते हैं।
कई अन्य आर्थोपेडिक अनुप्रयोगों जैसे खेल के दौरान चोट लगने, मेटाबोलिक हड्डी रोग, पेगेट रोग आदि।
कैंसर की उपचार प्रणाली
क्या है कीमोथेरेपी? (What is Chemotherapy in Hindi)
कीमोथेरेपी से तात्पर्य इलाज के ऐसे तरीके से है, जिसमें कैंसर की कोशिकाओं को सर्जिकल तरीके से नष्ट किया जाता है। कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के साथ कीमोथेरेपी कैंसर को शरीर के अन्य अंगों में फैलने में भी सहायता करती है और इस प्रकार यह व्यक्ति को नई ज़िदगी प्रदान करती है।
कीमोथेरेपी के प्रकार कितने हैं? (Types of Chemotherapy in Hindi)
हो सकता है कि कुछ लोग इस बात से अनजान हो कि कीमोथेरेपी मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- इंट्रावेनस कीमोथेरेपी- यह कीमोथेरेपी का मुख्य प्रकार है, जिसे इंट्रावेनस कीमोथेरेपी (Intravenous chemotherapy) कहा जाता है।इंट्रावेनस कीमोथेरेपी में एक छोटी-सी ट्यूब को व्यक्ति की बांहो या छाती में डाला जाता है और फिर उसका इलाज किया जाता है।
- ओरल कीमोथेरेपी- यह कीमोथेरेपी का अन्य प्रकार है, जिसे ओरल कीमोथेरेपी (Oral Chemotherapy) कहा जाता है।जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस प्रक्रिया में व्यक्ति के मुंह में दवाई को डालकर उसकी कीमोथेरेपी की जाती है।
कैंसर से कैसे बचे ? (How To Reduce Risk of Cancer)
कैंसर होने के खतरे को कम करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
– तंबाकू उत्पादों का प्रयोग न करें।
– कम वसा वाला भोजन करें तथा सब्जी, फलों और समूचे अनाजों का उपयोग अधिक करें।
– नियमित व्यायाम करें।
- खूब खाएं हरी सब्जी और फल
कैंसर से बचने के लिए आपको सबसे पहले अपनी डाइट में हेल्दी डाइट शामिल करनी चाहिए। इसके मुताबिक आप खूब हरी सब्जियां और फल खाइए। दरअसल इनमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर व अन्य पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। फाइबर कैंसर पैदा करने वाले फ्री-रेडिकल्स को गेस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक तक नहीं पहुंचने देते जिससे इसके होने की आशंका कम हो जाती है। पर्याप्त मात्रा में फल, हरी सब्जियां खाने से आहार नली में कैंसर का खतरा घटता है।
कार्बोहाइड्रेट फूड्स कम लें
कार्बोहाइड्रेट फूड्स जैसे सफेद चावल, पास्ता व शक्कर शरीर में ऊर्जा व ग्लूकोज के स्त्रोत होते हैं, लेकिन इन्हें ज्यादा खाने से बचना चाहिए। ये खाद्य पदार्थ शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ाने के साथ ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ाते हैं।
कंट्रोल में रखें वजन
- वजन को कंट्रोल में रखना चाहिए।
दर असल ज्यादा वजन से पेट, ब्रेस्ट व गर्भाशय में कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इन अंगों में फैट बढने से ट्यूमर होता है। साथ ही फैट टिश्यू अत्यधिक मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन पैदा करते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
उपवास और कैंसर ? (Fasting and Cancer)
पढ़के जरा अजीब लगा न , आईये पढ़िए आप अगर उपवास करते है तोह आप कैसे कैंसर को दूर रखनेका काम करते है
उपवास । यह काम किस प्रकार करता है ।अनुसंधान। कैंसर के उपचार के रूप में उपवास
उपवास, या समय की विस्तारित अवधि के लिए भोजन नहीं करना, एक धार्मिक आहार अभ्यास के रूप में जाना जाता है। लेकिन कुछ इसे विशिष्ट स्वास्थ्य लाभों के लिए भी उपयोग करने लगे हैं। पिछले कई वर्षों में, कई अध्ययनों को प्रकाशित करते हुए दिखाया गया है कि आंतरायिक उपवास या एक उपवास-नकल वाला आहार कैंसर सहित गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के लक्षणों और रिवर्स लक्षणों को कम कर सकता है ।
आंतरायिक उपवास क्या है? (What is intermittent fasting?)
आंतरायिक उपवास एक अनुसूची पर उपवास है , खाने के समय के साथ वैकल्पिक। उदाहरण के लिए, आप सप्ताह के अधिकांश दिनों में आम तौर पर खा सकते हैं, लेकिन मंगलवार और गुरुवार को केवल 8 घंटे की अवधि के लिए खाते हैं और शेष 16 घंटों के लिए उपवास करते हैं। कुछ इसे व्रत-उपवास आहार भी कहते हैं।
यद्यपि यह आधुनिक समाज में असामान्य लगता है जहां भोजन प्रचुर मात्रा में होता है, मानव शरीर का निर्माण ऐसे समय में किया जाता है जब खाद्य स्रोत दुर्लभ होते हैं। इतिहास में, भोजन की आपूर्ति को सीमित करने वाले अकाल या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण उपवास अक्सर आवश्यक होता है।
उपवास और कैंसर ? (Fasting And Cancer)
पढ़के जरा अजीब लगा न , आईये पढ़िए आप अगर उपवास करते है तोह आप कैसे कैंसर को दूर रखनेका काम करते है
उपवास करना मतलब हफ्ते के कुछ विस्तारित समय के लिए भोजन नहीं करना , जैसे की हफ्ते के हर दिन में आप ३ बार खाना खाते है , लेकिन अगर हफ्ते के २ दिन आप ८ घंटे तक खाना खाये और बाकि १६ घंटे उपवास करते है तोह ये बड़ाही अच्छा साबित हुआ है कैंसर के सेल्स को बढ़ने नहीं देता ,
उपवास कैसे काम करता है How Does Fasting Work For Cancer)
हमारे शरीर में हम जब उपवास करते है तोह शरीर में स्टोर किये हुए पोषक तत्व हमें जीवित रखने के लिए काम करत्ते है , ये प्रकृति का नियम ही है ,हम ज्यादा से ज्यादा ३ दिन तक लगातार उपवास कर सकते है , तब तक शरीर के स्टोर किये हुए पोषक तत्व आपको बचाते है
जब की उसके बाद सेल्स और टिशूज के ऊपर स्ट्रेस अत है जिसे वो वेट लोस्स करके आपको महसूस नहीं होने देता
उपवास और कैंसर के पीछे का विज्ञान (Fasting And Science Behind Cancer)
सामान्य स्वस्थ (रोग-मुक्त) वयस्क के लिए रुक-रुक कर उपवास का केवल एक लाभ है । हाल के जानवरों के ऊपर किये हुए अध्ययन और कुछ प्रारंभिक मानव परीक्षणों ने कैंसर के जोखिम में कमी या कैंसर की वृद्धि दर में कमी देखी है। इन अध्ययनों से संकेत मिलता है कि यह उपवास से निम्नलिखित प्रभावों के कारण हो सकता है
रक्त शर्करा के उत्पादन में कमी ( Reduction In Blood Sugar Generation )
स्टेम सेल प्रतिरक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू हुआ
एक एक्सपेरिमेंट चुहोंके साथ किया गया उसमे संतुलित पोषण का सेवन उन्हें हर ९-१२ घंटो में चरणमे भोजन करके दिया गया उससे ये पाया गया है की ट्यूमर को मारने वाली टिशूज का उत्पादन बढ़ा ने में मदद हुई है , उपवास मोटापे की प्रगति को रिवर्स करता दिखाया गया था। मोटापा कैंसर के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है, जो कैंसर के इलाज के लिए उपवास का समर्थन कर सकता है।
चूहों के एक दूसरे अध्ययन से पता चला है कि एक द्वैमासिक उपवास- आहार ने कैंसर की घटनाओं को कम किया। 19 मनुष्यों के साथ एक ही वैज्ञानिक द्वारा पायलट परीक्षण में परिणाम समान थे; यह दिखाया गया कि कैंसर के लिए बायोमार्कर और जोखिम कारक टिशूज कम हो गए हैं ।
2016 के एक अध्ययन में , शोध से पता चला कि उपवास और कीमोथेरेपी के संयोजन ने स्तन कैंसर और त्वचा कैंसर की प्रगति को धीमा कर दिया । संयुक्त उपचार विधियों से शरीर में सामान्य लिम्फोइड पूर्वज कोशिकाओं (सीएलपी) और ट्यूमर-घुसपैठ लिम्फोसाइटों के उच्च स्तर का उत्पादन हुआ। सीएलपी लिम्फोसाइटों के अग्रदूत टिशूज हैं, जो सफेद रक्त सेल्स हैं जो एक ट्यूमर में स्थानांतरित होती हैं और ट्यूमर को मारने के लिए जानी जाती हैं।
एक ही अध्ययन ने कहा कि अल्पकालिक भुखमरी सामान्य कोशिकाओं की सुरक्षा करते हुए कैंसर कोशिकाओं को कीमोथेरेपी के प्रति संवेदनशील बनाती है, और इसने स्टेम कोशिकाओं के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया ।
समय की विस्तारित अवधि के लिए उपवास के बारे में सावधान रहना महत्वपूर्ण है जिसे आपका शरीर संभाल नहीं सकता है। पूर्ण या निरंतर उपवास ” भुखमरी मोड ” को ट्रिगर करेगा , जिसमें आपका शरीर आपके जीवन को लंबा करने के लिए धीमा करना शुरू कर देता है। यह आमतौर पर तीन दिनों के निरंतर उपवास के बाद शुरू होता है। तीन दिनों से अधिक की इस उपवास अवधि के दौरान, आपका शरीर जितना संभव हो उतना ईंधन स्टोर करेगा, और आपको वजन कम होने की सूचना नहीं होगी।