दोस्तों कोरोना के महामारी ने पुरे विश्व को हिला के रख दिया और उसमे भारत भी अपवाद नहीं है। जैसे की आप देख रहे है कितनी तेजी से कोरोना का प्रदुर्भाव बढ़ता ही जा रहा है। और लोगोको हॉस्पिटल्स में भर्ती भी करना पड रहा है ,शुक्र है लोगोंकी रिकवरी रेट भारत में ज्यादा पाया गया है जिससे लोग हॉस्पिटल्स से घर भी जा रहे है।
चलिए आज के ये टॉपिक में मै आपको २०२० में हुई कुछ अच्छी और बुरी चीजोंका अवलोकन कराती हु
अब आप सोच रहे होंगे २०२० के महामारी में कौनसी अच्छी चीज हुई है ,?
जी हाँ दोस्तों कभी कभी आदमी अपनी आसपास घटी या पायी गयी अच्छी चीजोंको नज़र अंदाज़ कर देता है और उसे जान नहीं पाता ,और दुःख के गले लगा देता है ,
भारत में आयी माहमारी में हर शख्स को रुलाया ये तो सबको पता ही है पर जिस शख्स की मई बात करने ज रही हु वो शख्स ने भारत में लोखड़ौन दरम्यान कितनोंको रोने पे मजबूर कर दिया
ऐसा कौन सा शख्स ? आखिर उसने किया क्या ?
जिस शख्स की मई बात कर रही हु वो है सोनू सूद ये शख्स वही है जिसने कोरोना के लोकड़ाऊन में हर वो शख्स की मदद की जो अपने घर जाने के लिए बेक़रार भी था और परेशान भी था ,
बताते चलें कि सोनू सूद पिछले काफी समय से कोरोना के चलते देश में लगे लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने में मदद कर रहे थे। हालांकि, उनके लिए चीजें हमेशा से इतनी आसान नहीं थी। ‘
सोनू ने ऐसे लोगोंको ऑनलाइन रजिस्टर तथा फ़ोन से उपलब्ध रहके विकल्प दिए , सोनू ने हर परेशान और गरीब व्यक्ति की खाने पिने तक की सहायता की
वो लोग घर तक पूछने तक सोनू ने उनकी तरफ ध्यान दिया।
बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद जरूरतमंदों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं। वह हर किसी की मदद करने के लिए तैयार रहे । सोनू सोशल मीडिया के जरिए हेल्प मांगने वालों तक हर संभव सहायता पहुंचाते रहे।
हाल ही में सोनू एक टीवी रेलिटी शो में पाए गए जिसमे उनके द्वारा किये गए काम का प्रदर्शन भी किया गया और उनमेसे कई लोगोंसे वीडियो कॉलिंग पे बात की उनका हाल उनकी जुबानी सुनके पुरा देश रो पड़ा , सोनू सूद ने मुंबई में अटके पर्प्रान्तीयोको अपना परिवार वाला समझके पूरी मदद की.

अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए सोनू ने कहा, “मैं एक इंजीनियर हूं और अपनी ग्रेजुएशन करने के बाद जब मैं अपने परिवार के पास वापस गया, तो मैंने सोचा कि मैं वहां पारिवारिक व्यवसाय करूंगा, लेकिन मैं हमेशा से मुंबई आना चाहता था। शुरू में मैंने सोचा था कि मेरे माता-पिता मुझे मुंबई जाने से रोकेंगे, क्योंकि मैं उनका इकलौता बेटा हूं, लेकिन मेरी मां ने मुझे अपने सपनों को हासिल करने के लिए कहा।
उन्होंने आगे कहा, “मुझे अभी भी याद है जब मैं पहली बार मुंबई आया था, मेरे पास 5,500 रुपये थे जो मैंने बचाकर रखे थे। मैं 400 रुपए खर्च करके फिल्म सिटी गया, लेकिन मुझे गेट पर ही रोक दिया गया। मुझे लगता था कि अगर मैं फिल्म सिटी में घूमता रहूंगा तो कोई न कोई एक निर्देशक या एक निर्माता मुझे देखेगा और मुझे अपने प्रोजेक्ट में शामिल कर लेगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। यह केवल मेरे माता-पिता के आशीर्वाद के कारण है कि मैं यहां हूं।
सोनू सूद भोत ही सेंसिटिव और प्रति प्रामाणिक नज़र आते है , आज भी वो हर व्यक्ति से बात करते वक़्त अपने आंसू रोक नहीं पाए न हमें रोकने दिया,

जहा देश कोरोना से रो पड़ा ये शख्स ने अपने कामोंसे और मदद से ख़ुशी के आंसू निकालने पे मजबूर कर दिया!
मेरा ये आर्टिकल सोनू सूद के नाम जो reel लाइफ में ही नहीं बल्कि real लाइफ में हीरो है
उसके भावी आयु के लिए बहोत शुभकामनाये!