शिवा लिंग को पाना ये तो नयी बात नहीं है क्युकी इससे पहले भी कई देशोमे इसे जमीं के निचे पाया गया है।
इसके पीछे शिवा लिंगा को पूजना किन देशोंके अध्यात्म का हिस्सा था ये समझा जा सकता है !
दक्षिण अफ्रीका में एक शिव मूर्ति की खोज इस बात का प्रमाण है कि 6000 साल पहले अफ्रीकी उसकी पूजा करते थे। पुरातत्वविदों ने दक्षिण अफ्रीका के सुदवारा नामक गुफा में 6000 साल पुराना शिवलिंग पाया है और यह कठोर ग्रेनाइट पत्थर से बना है। पुरातत्वविद आश्चर्यचकित हैं कि शिवलिंग वहां इतने समय तक कैसे रहा?
अफ्रीकी धर्मों पर कुछ दिलचस्प बाते हैं।ईसाई धर्म के आगमन से पहले अफ्रीका में धर्म का इतिहास लगभग शून्य है!
डीएनए के आधार पर भारत के मदुरै में शुरुआती वंश का पता लगाया गया है।
अफ्रीकी धर्म में शिव की पूजा होती थी ऐसा अनुमान लगया गया है
इसमें आगे पढ़ते है की नेल्स्प्रूटसाउथ अफ्रीका में, शिव लिंग पाया गया है और बताया जाता है कि इसकी पूजा ६००० साल पहले से की जा रही थी!

इसके अलावा ये भी कहा के अफ्रीका में शिव लिंग, गणेश की भी पूजा की जाती है।
‘ कई वर्षों के लिए एकत्र किए गए ऐतिहासिक, परमाणु और भाषाई साक्ष्य के बाद, इतिहासकार साइरिल ए जिन्होंने ह्रोमनिएक पीएचडी की हुई है ,सिरैक्यूज़ विश्वविद्यालय, सिरैक्यूज़, एनवाई से । कई वर्षों के लिए उन्होंने आज के जिम्बाब्वे में स्थित महोनालैंड के पत्थर में पत्थर के स्ट्रक्चर्स पर अपना ध्यान केंद्रित किया। तो उनके अध्ययन में उन्होंने कहा के सारे खण्डर और पत्थर की विशेषताएं अफ्रीका में पायी गयी है। जिससे उनको इस टॉपिक में किताब लिखने के लिए उत्तेजन मिला जिसका नाम ( Hromník, Cyril.Andrew. 1981. Indo-Africa: Towards a New Understanding of the History of Sub-Saharan Africa. Cape Town) के इतिहास के एक नई समझ की दिशा में केप टाउन:), जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है के पत्थर में पाए गए विशेष तरह के पत्थर जिसे शोना कहा गया वह इंडियन ओरिजिन से था।
इसे ये बात पता चलती है की अफ्रीका के लोग सनातन धर्म क मानते थे हलाकि इसपे रिसर्च अभी भी चल रही है और की भी ठोस वक्तव्य इसपे पाया नहीं गया है !