दोस्तों हमारे संस्कृति में बडोंका आदर करना और उनके पैर छूना बहोत ही आम बात है , मानो ये अपने ज़िन्दगी का हिस्सा है ,पर कभी किसीने सोचा है के पैर छुनेसे होता क्या है ?
क्युकी भारतीय संस्कृति में जो कुछ भी चीजे पूर्वापर से चलती आ रही है उस हर चीज के पीछे कुछ न कुछ शास्त्र था और है ,
वैसे ही पैर छुनेका भी कुछ कारन है जिसको मई आप सब के सामने रखूंगी
जब कोई छोटा बच्चा हमें पूछेगा की हम बडोंके पैर क्यों छूते है तो हमारे पास उसका जवाब होना चाहिए
तोह चलिए आगे बढ़ते है ,
पहले के ज़माने में जब बडोंके या गुरु के पैर छूते थे तोह गुरु की ध्यान धारणा से उनमे एक अलग ही एनर्जी पायी जाती थी वो एनर्जी उनके आस पास वालोंके लिए बढ़ी ही पॉजिटिव फील किया करती थी ,इतनाही नहीं बल्कि वो खुद इतने पॉसिटीव एनर्जी से चार्ज रहते थे। जब भी उनका शिष्य उनके पैर छूता था तोह गुर अपने हाथ उसके सर पे रखके आशीर्वाद देते थे, अपने हाथ के वायब्रेशन्स से गुरु की पॉजिटिव एनर्जी शिष्य को मिलती थी , इसलिए शिष्य कुछ हद तक अपने गुरु जैसा बनते जाता था !

अपने घर में जो भी बड़े रहते है वो अपने लिए कुछ भी अच्छा ही सोचते है , जब भी उनके पैर छूने हम जाते है वो भी उनका हाथ हमारे सर पर रखकर कुछ अच्छा सोचके अपन हाथ अपने सर पे रख देते है।
तोह पैर छुनेका ये वाइब्रेशन पास करने का तरीका आपको जानके कैसे लगा ? मेरी ये पोस्ट ध्यान से पढ़ने के लिए बहोत शुक्रिया
अगर आपको मेरी जानकारी पसंद ये तोह शेयर जरूर करना
