हम कई बार न्यूज़ में या अखबार पढ़ते वक्त देश की आर्थिक स्थिति का अधवा लेने के लिए किये गए जीडीपी शब्द का प्रयोग सुनते आए हैं !
इसके बारे में कइयोंको थोड़ी बहोत जानकारी है , लेकिन आज इसके बारे में थोड़ा डिटेल में जाके पढ़ते है –
जीडीपी क्या है ( What is GDP? GDP in India 2020?)
ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) GDP in india – किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का पैमाना या जरिया है। आपको बता दें कि भारत में जीडीपी की गणना प्रत्येक तिमाही में की जाती है। जीडीपी का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि दर पर आधारित होता है। GDP in india 2020 के तहत कृषि, उद्योग व सेवा तीन प्रमुख घटक आते हैं। इन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत के आधार पर जीडीपी दर तय होती है।2019 के मुकाबले GDP in india 2020 एकदम गिरा हुआ नज़र आया क्युकी मार्च से लेके शुरू हुए लॉकड़ाऊन को लेके एसेंशियल चीजोंको छोड़के हर चीज के डिमांड में गिरावट हुई पूरी तरीकेसे।
जीडीपी आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दिखाता है और इससे यह पता चलता है कि किन सेक्टरों की वजह से इसमें तेज़ी या गिरावट आई है.
GDP से पता चलता है कि सालभर में अर्थव्यवस्था ने कितना अच्छा या ख़राब प्रदर्शन किया है. अगर जीडीपी डेटा सुस्ती को दिखाता है, तो इसका मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही है और देश ने इससे पिछले साल के मुक़ाबले पर्याप्त सामान का उत्पादन नहीं किया और सेवा क्षेत्र में भी गिरावट रही. कोरोना लॉकडाउन की वजह से त्रिमाही होनेवाला GDP इस बार 2020 में india में काफी निचे लेके गया।

GDP दो तरीकेसे प्रस्तुत होता है –(Types of GDP )
GDP को दो तरह से प्रस्तुत किया जाता है, क्योंकि उत्पादन की कीमतें महंगाई के साथ घटती बढ़ती रहती हैं। यह पैमाना है कॉन्टैंट प्राइस का जिसके अंतर्गत जीडीपी की दर व उत्पादन का मूल्य एक आधार वर्ष में उत्पादन की कीमत पर तय होता है जबकि दूसरा पैमाना करेंट प्राइस है जिसमें उत्पादन वर्ष की महंगाई दर शामिल होती है।
चार अहम घटकों के ज़रिए जीडीपी का आकलन किया जाता है ( GDP Calculation)
- कंजम्पशन एक्सपेंडिचर – यह गुड्स और सर्विसेज को ख़रीदने के लिए लोगों के कुल ख़र्च को कहते हैं.
- गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर
- इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर है और आख़िर में
- नेट एक्सपोर्ट्स आता है.
जीडीपी का आकलन नोमिनल और रियल टर्म में होता है. नॉमिनल टर्म्स में यह सभी वस्तुओं और सेवाओं की मौजूदा क़ीमतों पर वैल्यू है.
जब किसी बेस ईयर के संबंध में इसे महंगाई के सापेक्ष एडजस्ट किया जाता है, तो हमें रियल जीडीपी मिलती है. रियल जीडीपी को ही हम आमतौर पर अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के तौर पर मानते हैं.
जीडीपी के डेटा को आठ सेक्टरों से इकट्ठा किया जाता है. इनमें कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी, गैस सप्लाई, माइनिंग, क्वैरीइंग, वानिकी और मत्स्य, होटल, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड और कम्युनिकेशन, फ़ाइनेंसिंग, रियल एस्टेट और इंश्योरेंस, बिजनेस सर्विसेज़ और कम्युनिटी, सोशल और सार्वजनिक सेवाएँ शामिल हैं.
गर जीडीपी बढ़ रही है, तो इसका मतलब यह है कि देश आर्थिक गतिविधियों के संदर्भ में अच्छा काम कर रहा है और सरकारी नीतियाँ ज़मीनी स्तर पर प्रभावी साबित हो रही हैं और देश सही दिशा में जा रहा है.
अगर जीडीपी सुस्त हो रही है या निगेटिव दायरे में जा रही है, तो इसका मतलब यह है कि सरकार को अपनी नीतियों पर काम करने की ज़रूरत है ताकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद की जा सके.
सरकार के अलावा कारोबारी, स्टॉक मार्केट इनवेस्टर और अलग-अलग नीति निर्धारक जीडीपी डेटा का इस्तेमाल सही फ़ैसले करने में करते हैं.
जब अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन करती है, तो कारोबारी और ज़्यादा पैसा निवेश करते हैं और उत्पादन को बढ़ाते हैं क्योंकि भविष्य को लेकर वे आशावादी होते हैं.
लेकिन जब जीडीपी के आँकड़े कमज़ोर होते हैं, तो हर कोई अपने पैसे बचाने में लग जाता है. लोग कम पैसा ख़र्च करते हैं और कम निवेश करते हैं. इससे आर्थिक ग्रोथ और सुस्त हो जाती है.
ऐसे में सरकार से ज़्यादा पैसे ख़र्च करने की उम्मीद की जाती है. सरकार कारोबार और लोगों को अलग-अलग स्कीमों के ज़रिए ज़्यादा पैसे देती है ताकि वो इसके बदले में पैसे ख़र्च करें और इस तरह से आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा मिल सके.
इसी तरह से नीति निर्धारक जीडीपी डेटा का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था की मदद के लिए नीतियाँ बनाने में करते हैं. भविष्य की योजनाएँ बनाने के लिए इसे एक पैमाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
कैसे होती है जीडीपी की गणना (How Do We Count GDP?)
जीडीपी को मापने का अंतरराष्ट्रीय मानक बुक सिस्टम ऑफ नेशनल एकाउंट्स (1993) में तय किया गया है, जिसे SNA93 कहा जाता है. इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), यूरोपीय संघ, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD), संयुक्त राष्ट्र और वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों ने तैयार किया है.
भारत में जीडीपी की गणना तिमाही-दर-तिमाही होती है. भारत में कृषि, उद्योग और सेवा तीन अहम हिस्से हैं, जिनके आधार पर जीडीपी तय की जाती है. इसके लिए देश में जितना भी प्रोडक्शन होता है, जितना भी व्यक्तिगत उपभोग होता है, व्यवसाय में जितना निवेश होता है और सरकार देश के अंदर जितने पैसे खर्च करती है उसे जोड़ दिया जाता है. इसके अलावा कुल निर्यात (विदेश के लिए जो चीजें बेची गईं है) में से कुल आयात (विदेश से जो चीजें अपने देश के लिए मंगाई गई हैं) को घटा दिया जाता है. जो आंकड़ा सामने आता है, उसे भी ऊपर किए गए खर्च में जोड़ दिया जाता है. यही हमारे देश की जीडीपी होता है.
जब जीडीपी में राष्ट्रीय जनसंख्या से भाग दिया जाता है तो प्रति व्यक्ति जीडीपी निकलती है. सबसे पहले तय होता है बेस ईयर. यानी आधार वर्ष. एक आधार वर्ष में देश का जो उत्पादन था, वो इस साल की तुलना में कितना घटा-बढ़ा है? इस घटाव-बढ़ाव का जो रेट होता है, उसे ही जीडीपी कहते हैं.
कौन तय करता है GDP? (Who Decides GDP?)
GDP को नापने की जिम्मेदारी सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के तहत आने वाले सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस यानी केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की है. यह ऑफिस ही पूरे देश से आंकड़े इकट्ठा करता है और उनकी कैलकुलेशन कर जीडीपी का आंकड़ा जारी करता है.
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